प्रीत जो लागी तोहसे नाथ

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बन गयी तेरी जोगन मैं 

प्रीत जो लागी तोहसे नाथ

मन में गीत सुरो की बाजत

तू भी नाचे मेरे साथ 


बांध ले मोहे मोह में अपनी

जो छुटे ना अनंत काल

बन गइ तेरी जोगन मैं 

प्रीत जो लागी तोहसे नाथ


कांटे भी फूलों सा लगें

हर पल करु मुख्य तेरी चह

बन गइ तेरी जोगन मैं 

प्रीत जो लागी तोहसे नाथ


आपनी जैसी रही नहीं मैं 

मन का बात कही नहीं मैं 

कैसे कहुँ मैं अपनी बात 

कहने में आवत है लाज

बन गइ तेरी जोगन मैं 

प्रीत जो लागी तोहसे नाथ


सच्ची मेरी प्रीत जो लागे

ना बोलू अब कुछ भी आगे

तुम ही समझो मन का हाल

मेरी तो है व्यथा खराब

बन गइ तेरी जोगन मैं 

प्रीत जो लागी तोहसे नाथ


Author - Rekha Tiwari

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1 Comments

Unknown said…
अति उत्तम रचना